गोपेश्वर जैसे मजदूर नेता ने भी इस कुप्रथा को बढ़ावा दिया
कई तो टेम्पोरेरी के रूप में ही रिटायर हो चुके हैं
उदित वाणी,जमशेदपुर: टाटा मोटर्स के सारे बाई सिक्स कर्मियों को स्थायी करने के आदेश ने टाटा मोटर्स की नैतिकता को तार-तार कर दिया है. डीएलसी राकेश प्रसाद ने लंबे समय से चली आ रही इस अनफेयर प्रैक्टिस को खत्म कर तीन माह के अंदर टाटा मोटर्स के सारे अस्थायी कर्मियों को स्थायी करने का आदेश दिया है.
इससे 15-20 साल तक टेम्पोरेरी के रूप में अपनी पूरी जवानी खपा देने वाले कर्मचारियों में स्थायीकरण की उम्मीद जगी है. उन्हें लगता है कि अब वे जल्द ही स्थायी पूल में शामिल हो पाएंगे. एक टेम्पोरेरी ने बताया कि कई ऐसे अस्थायी कर्मचारी है, जो स्थायीकरण की आस में रिटायर हो चुके हैं. ऐसी अनौतिक और गुलामी वाली नौकरी से शायद अब मुक्ति मिलें. 45 साल से कर्मचारी पुत्रों का निबंधन हो रहा है 1978 में सरकार, यूनियन और प्रबंधन के बीच हुए समझौते के तहत कर्मचारी पुत्रों के नियोजन का नियम बना था. इसके बाद कंपनी में लंबी सेवा देने वाले कर्मियों के बच्चों का रजिस्ट्रेशन होने लगा. यह रजिस्ट्रेशन बाद में निबंधित पुत्रों की गले की फांस बन गया, जब उन्हें पूरी जवानी टेम्पोरेरी के रूप में काम करना पड़ता. सबसे आश्चर्य की बात है कि अपने आप को मजदूरों का हितैषी मानने वाली यूनियन ने प्रबंधन के इस अनफेयर प्रैक्टिस को रोकने की कोशिश नहीं की.
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के मजदूर नेता कहे जाने वाले स्वर्गीय गोपेश्वर ने भी इस प्रथा को आगे बढ़ाया और निबंधित पुत्रों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार पर चुप्पी साधे रखी. अब एक बाई सिक्स कर्मी अफसर जावेद ने कोर्ट में इस मामले को ले जाकर नजीर पेश की है. अफसर जावेद की याचिका के बाद डीएलसी ने टाटा मोटर्स प्रबंधन को पत्र लिख सारे बाई सिक्स कर्मियों को स्थायी करने का आदेश जारी किया है. वैसे इसके पीछे बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला भी है, जो टाटा मोटर्स पुणे प्लांट के अस्थायी कर्मियों के लिए आया था. बाई सिक्स कर्मियों से स्थायी जैसा काम, वेतन आधा से भी कम प्रबंधन, बाई सिक्स कर्मियों से स्थायी कर्मचारियों की तरह काम लेता है. मगर वेतन आधा से भी कम देता है. सामाजिक सुरक्षा कोई होती नहीं.
हर साल प्रबंधन और यूनियन 150 से लेकर 300 तक बाई सिक्स कर्मियों को स्थायी करता आया है. प्रबंधन के लिए यह मजबूरी होती है क्योंकि स्थायी कर्मचारियों की एक निश्चित संख्या उसे मेन्टेन रखनी होती है. यही नहीं, जितने कर्मचारियों को प्रबंधन स्थायी करता है, लगभग उतने ही कर्मचारी हर साल रिटायर हो जाते हैं. यूनियन महामंत्री आरके सिंह ने जोर लगाया डीएलसी के आदेशके बाद टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष गुरमीत सिंह तोते और आरके सिंह ने प्रबंधन के साथ बात कर बाई सिक्स कर्मियों को स्थायी करने की मांग की है. उल्लेखनीय है कि बाई सिक्स कर्मियों को स्थायी का तोहफा, तब तक नहीं मिलेगा, जब तक यूनियन की ओर से सकारात्मक पहल नहीं हो. सूत्रों का कहना है कि यह यूनियन इन बाई सिक्स कर्मियों को स्थायी कराकर टाटा मोटर्स के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ना चाहती है. अगर इस यूनियन ने बाई सिक्स कर्मियों को एक साथ स्थायी कराने में सफलता पा ली, तो यह यूनियन अमर हो जाएगी.
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