the_ad id="18180"]
उदित वाणी, जमशेदपुर : प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी को पूरे विश्व में एनटीडी दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का अभिप्राय यह है कि विश्व के सारे लोग एनटीडी (नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीजेज़) के उन्मूलन के प्रति पूरी प्रतिबद्धता से जनांदोलन के रूप में कार्य करें।
इसी क्रम में राज्य में भी सोमवार को एनटीडी दिवस मनाया गया और लोगों को नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीजेज़ के बारे में जागरूक किया गया। वर्ष 2020 में विश्व को इन बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए पहली बार विश्व एनटीडी दिवस मनाया गया था। राज्य के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने बताया कि एनटीडी जीवन को प्रभावित करने वाले रोगों का एक समूह है, जो अधिकतर गरीब, कमजोर आबादी को प्रभावित करता है।
एनटीडी में हाथीपांव (लिम्फैटिक फाइलेरिया) कालाजार (विसेरल लीशमैनियासिस) , कुष्ठरोग (लेप्रोसी), डेंगू, चिकुनगुनिया, सर्प-दंश, रेबीज़ जैसे रोग शामिल होते हैं, जिनकी रोकथाम पूर्णतया संभव है, मगर फिर भी पूरी दुनिया में हर साल बहुत सारे लोग इन रोगों से प्रभावित हो जाते हैं। भारत में भी हर साल हजारों लोग इन एनटीडी रोगों से संक्रमित हो जाने के कारण जीवन भर असहनीय पीड़ा सहते हैं और दिव्यांग भी हो जाते हैं, जिसके कारण वे अपनी आजीविका कमाने में भी अक्षम भी हो जाते हैं और उनकी आर्थिक व सामाजिक स्थिति अत्यंत दयनीय हो जाती है।
झारखण्ड के अभियान निदेशक डॉ. भुवनेश प्रताप सिंह ने बताया कि भारत दुनिया भर में प्रत्येक प्रमुख एनटीडी के लिए पहले स्थान पर है। ये गंभीर रोग हैं और इनसे प्रभावित लोगों की शिक्षा, पोषण और आर्थिक विकास पर विपरीत प्रभाव होता है , परंतु इनकी रोकथाम एवं उन्मूलन पूर्ण रूप से संभव है। राज्य सरकार सभी प्रकार के एनटीडी रोगों के उन्मूलन हेतु प्रतिबद्ध है और इनसे सम्बंधित सभी गतिविधियो को मिशन मोड में संचालित किया जा रहा है।
राज्य के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि गत 13 जनवरी को आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री मनसुख मांडविया ने कहा कि एनटीडी के अंतर्गत आने वाले रोग भारत के लिए नेग्लेक्टेड नहीं हैं और इसीलिए, भारत सरकार इन रोगों के उन्मूलन के लिए प्राथमिकता पर कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री ने भी मन की बात कार्यक्रम में कहा है कि फ़ाइलेरिया रोग के उन्मूलन की प्रतिबद्धता के दृष्टिगत इसके उन्मूलन का लक्ष्य वर्ष 2027 निर्धारित किया गया है एवं कालाजार के उन्मूलन का लक्ष्य वर्ष 2023 निर्धारित किया गया है।
एनटीडी रोगों के उन्मूलन के लिए ग्राम स्तर तक सभी संभव प्रयास किये जा रहे
डॉ. अनिल ने यह भी बताया कि राज्य सरकार के दिशा- निर्देश और प्रतिबद्धता के अनुरूप राज्य में एनटीडी रोगों के उन्मूलन के लिए राज्य स्तर से ग्राम स्तर तक सभी संभव प्रयास किये जा रहे हैं। इसके परिणाम स्वरुप, वर्तमान में राज्य का केवल 1 प्रखंड – पाकुड़ का लिट्टीपाड़ा कालाजार रोग से प्रभावित है। हमें पूर्ण विश्वास है कि जिस तरह से राज्य कालाजार के उन्मूलन की और अग्रसर है, उसी प्रकार अंतर विभागीय समन्वय से और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच दूर-दराज इलाकों तक सुनिश्चित कर राज्य को फाइलेरिया से भी जल्द ही मुक्त कराया जायेगा एवं इसी प्रकार के समस्त एनटीडी रोगों का राज्य से शीघ्र उन्मूलन होगा।
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।
Advertisement
<