उदित वाणी, जमशेदपुर: शहर में रहने दक्षिण भारतीय लोग भी मक्कर संक्रांति को धूमधाम से मनाते हैं. विशेषकर तमिलनाडू में इस पर्व को पोंगल के रूप में मनाया जाता है. दक्षिण भारतीय महिला समाज (डीबीएमएस) की वाइस चेयरपर्सन कमला सुब्रमण्यम ने बताया कि 15 जनवरी को पोंगल बनाया जा रहा है. हम इस दिन चावल का पोंगल बनाते हैं. किसी धातु के बर्तन में चावल, गुड़ और मुंगदाल का मीठा चावल यानि पोंगल बनाया जाता है. इसके बनाने की प्रक्रिया भी काफी शुद्ध होती है.
सबसे पहले हम किसी धातु के हंडी में पानी रखते हैं. पानी के खौलने के बाद उसमें चावल डालते हैं. चावल जब उबलने लगता है तो हम पोंगलो पोंगल कहकर सबकी समृद्धि की कामना करते हैं और उम्मीद करते हैं कि हमारे जीवन में भी खुशहाली और समृद्धि ऐसे ही छलके. बकौल कमला सुब्रमण्यम, हम हंडी को कुमकुम, कच्चे हल्दी, अदरख आदि से सजाते हैं. जब पोंगल बन जाता है तो उसे सूर्य भगवान को अर्पण करते हैं और फिर इसका भोग लगाते हैं.
पोंगल के साथ ही गन्ना, नारियल, सुपारी भी प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं. इस दिन मायके से नेग आता हैं. नये कपड़े के साथ और भी सामान आते हैं. इस दिन सूर्य उतरायण में प्रवेश करता है, जिसे शुभ माना जाता है और हमारे सारे शुभ काम इस दिन से शुरू होते हैं. केरल के लोग इस दिन सामान्य पूजा पाठ करते हैं.
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