उदित वाणी, जमशेदपुर: मकर सक्रांति 15 जनवरी को है. मकर संक्रांति को लेकर तिल से बने सामानों से बाजार पट गया है. तिल से बने तिलकुट, तिलपट्टी, बादाम पट्टी, चूड़ा और मुड़ी से बने लड्डू, भिन्न-भिन्न धान के बने चूड़ा, गुड़ आदि सामानों से बाजार अटा पड़ा है. बाजार में गुड़ और चीनी से बने तिलकुट 160 से लेकर 350 रुपए प्रति किलो मिल रहे हैं. उसी प्रकार चूड़ा 34 रुपए से लेकर 100 रुपए के बीच बाजार में उपलब्ध है. इस बार खोआ से भी बने तिलकुट बाजार में मिल रहे हैं.
सामानों की कीमत प्रति किलो
1.तिलकुट चीनी और गुड़ का 160 से 210 रुपए
2.ब्रांडेड गुड़ और चीनी का तिलकुट 200 से 400 रुपए
3.तिल पट्टी 170 से 180 रुपए
4.बादाम पट्टी 130 से 140 रुपए
5.गोटा तिल सफेद 210 से 220 रुपए
6.गोटा तिल काला 150 से 160 रुपए
7.मुड़ी का लड्डू- 90 से 110 रुपए
8.तिल का लड्डू 160 से 180 रुपए
9.गुड़ 44 से 50 रुपए
10.चूड़ा मालभोग 90 से 100 रुपए
11.चूड़ा बासमती 50 से 80 रुपए
12.चूड़ा कतरनी भागलपुरी 50 से 60 रुपए
13.चूड़ा साधारण 30 से 50 रुपए
14.दही सुधा या अमूल 67 रुपए
15.दूध 48 से 55 रुपए
कोट्स
शहर में गया के तिलकुट की सुगंध
तिलकुट जो खाने में सॉफ्ट और मुलायम हो. जिसमें तिल की सोंधी खुशबू आ रही हो. साथ ही गुड़ और तिल का मिश्रण चार और तीन का हो. ये बातें साकची टिनाशेड स्थित भाई भुजिया वाले के मालिक हीरालाल साहू ने कहीं. बकौल साहू, हम पिछले 44 वर्षों से तिलकुट बेच रहे हैं. हम गया से कारीगर लाकर यहीं पर तिलकुट का निर्माण करते हैं.तिलकुट बनाने के लिए तिल और गुड़ को धीमें आंच पर एक समय-सीमा तक पकाना पड़ता है. तिलकुट को कुटना ही कलाकारी है. गया के नाम पर शहर में दो नंबर का तिलकुट मिल रहा है. लोगों को सावधान रहने की जरूरत है.गुड़ या चीनी से बने तिलकुट, जो पूरी तरह गया के तिलकुट के समान है. उसकी कीमत 240 रुपए किलो है. इसे हम गया स्पेशल तिलकुट कहते हैं. कोई भी व्यक्ति इसे अपने घर ले जाकर और गया का स्वाद भरा तिलकुट खाने का आनंद उठा सकता है.
मकर संक्रांति का महत्व
पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार मकर सक्रांति के दिन भगवान सूर्य देव, अपने पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर जाते हैं. शनि देव मकर संक्रांति के देवता है. इसलिए इस दिन को मकर सक्रांति कहा जाता है. शनि देव को मकर और कुंभ राशि का स्वामी माना जाता है. मकर संक्रांति पिता और पुत्र के अनोखे मिलन को दर्शाता है. कई जगहों पर इस त्योहार को नई फसल और नई ऋतु के आगमन के तौर पर मनाया जाता है. वर्ष 2023 में 15 जनवरी को मकर संक्रांति त्योहार मनाया जाएगा. मकर संक्रांति कथा के विषय में महाभारत में भी वर्णन मिलता है. इसी दिन भीष्म पितामह ने प्राण त्यागे थे. मकर संक्रांति के दिन पितरों के उद्धार के लिए तिल से तर्पण करना शुभ होता है, क्योंकि महाराजा भागीरथ ने भी अपने पितरों के उद्धार के लिए इसी दिन तर्पण किया था. मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य, धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं.इस दिन भगवान सूर्य को खिचड़ी का भोग लगाने की परंपरा है. परंपरा के अनुसार मकर संक्रांति के दिन तिल से बने तिलकुट, चूड़ा, गुड़ और खिचड़ी खाने के साथ पतंग उड़ाने का भी विधान है.
स्नान का विशेष महत्व
भविष्य पुराण के अनुसार इस दिन प्रयाग और गंगासगर में स्नान का विशेष महत्व है. जब सूर्य देव दक्षिणायन की ओर जाते हैं, अर्थात अशुभ. दक्षिण दिशा को यम का वास या यम का द्वार माना जाता है.नरक के द्वार पहुंचते ही यमदूत मृत आत्मा को लेने आते हैं. उत्तर दिशा स्वर्ग का द्वार माना जाता है, जहां मृत आत्मा को लेने देवदूत आते हैं. वर्ष को दो भागों में बांटा गया है, उत्तरायण और दक्षिणायन. मकर संक्रांति के दिन सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा को पूरा करता है और उत्तर की ओर अग्रसर हो जाता है. इसलिए इस दिन से सूर्य उत्तर दिशा की ओर गतिमान हो जाता है. दक्षिणायन दिशा को दानव, दुष्ट और दुराचारियों की दिशा कहा जाता है जबकि उत्तरायण दिशा को देवताओं की दिशा माना जाता है.इसी दिशा में स्वर्ग लोक है.
महाभारत में भी इस पर्व का वर्णन मिलता है
मकर संक्रांति के संबंध में संक्रांति कथा के विषय में महाभारत में भी वर्णन मिलता है. महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार महाभारत युद्ध के महान योद्धा और कौरव सेना के सेनानायक गंगापुत्र भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था. संक्रांति की महत्ता को जानते हुए उन्होंने अपनी मृत्यु के लिए इसी दिन को निर्धारित किया था. वे जानते थे कि सूर्य दक्षिणायन होने पर व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त नहीं होता है और उसे इस मृत्युलोक में पुनः जन्म लेना पड़ता है. महाभारत युद्ध के बाद जब सूर्य उत्तरायण हुआ, तभी पितामह ने अपना प्राण त्यागे. वह दिन मकर संक्रांति था.
मकर संक्रांति के दिन ही अवतरित हुई थी गंगा
धार्मिक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही मां गंगा स्वर्ग से अवतरित होकर राजा भागीरथ के पीछे पीछे कपिल मुनि के आश्रम होते हुए गंगासागर तक पहुंची थी. मां गंगा के पवित्र जल से राजा भागीरथ ने अपने पितरों को तर्पण कर मोक्ष की प्राप्ति करा स्वर्ग लोक भेजने का काम किए थे. मकर संक्रांति के दिन गंगा सागर और प्रयागराज में स्नान करना काफी शुभ माना जाता है. भविष्य पुराण में गंगासागर और प्रयागराज में मकर संक्रांति पर्व के मौके पर गंगा स्नान करने का उल्लेख मिलता है.
भगवान विष्णु ने मकर संक्रांति के दिन असुरों का किया था वध
मकर सक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत कर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी. श्रीहरि ने सभी असुरों के सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था. इस प्रकार यह दिन बुराइयों और नकारात्मकता को खत्म करने का दिन भी माना जाता है. मकर सक्रांति के दिन माता यशोदा ने श्रीकृष्ण की प्राप्ति के लिए व्रत रखी थी.
क्या करना चाहिए
पितरों को करें तिल से तर्पण
मकर संक्रांति के दिन पितरों को तिल से तर्पण करना काफी शुभ होता है. इसी दिन महाराजा भागीरथ ने अपने पितरों के लिए तर्पण किया था. तर्पण विधि पूर्वक करनी चाहिए, क्योंकि भगवान सूर्य, सूर्योदय के समय धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इस लिए सूर्योदय के समय ही पितरों को तर्पण करनी चाहिए. इसी दिन भगवान सूर्य को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है.
किस प्रदेश में किस नाम से जाना जाता है मकर संक्रांति
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मकर संक्रांति पर्व अलग-अलग तरह से मनाये जाते हैं. आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक में संक्रांति कहा जाता है. तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में लोग मनाते है. पंजाब और हरियाणा में लोहड़ी और असम में बिहू. मध्य भारत सहित बिहार और यूपी में मकर संक्रांति के नाम से प्रचलित है.
जानें तिल का औषधीय महत्व
तिल में कई तरह के पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, कैल्शियम, बी काम्प्लेक्स, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, जिंक, कॉपर और मैग्नीशियम प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं. तिल में मोनो सैचुरेटेड फैटी एसिड होता है. यह शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करके, अच्छा केलेस्ट्रॉल को बनाने में मदद करता है. यह ह्रदय रोग, दिल का दौरा और अथेरोक्लेरोसिस की संभावना को कम करता है. आयुर्वेद में तिल मधुमेह, कफ, पीत कारक, निम्न रक्तचाप में लाभ, स्तनों में दूध उत्पन्न करने वाला, गठिया, मल रोधक और वात नाशक माना जाता है. तिल की तासीर गर्म होती है. इसका सेवन सर्दियों में करने से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है.
गुड़ सेहत के लिए है लाभदायक
गुड़ की तासीर गर्म है. गुड़ में लवण, मैग्नेशियम, आयरन, विटामिन ए, बी, लौह तत्व, पोटेशियम, गंधक, फास्फोरस और कैल्शियम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है. गुड़ खाने से मनुष्य का शरीर स्वस्थ रहता है।
चूड़ा में पाये जाते हैं कार्बोहाइड्रेट
मकर संक्रांति के दिन तिलकुट और गुड़ के साथ चूड़ा का भी सेवन किया जाता है. चूड़ा में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी, मैंगनीज, फास्फोरस, आयरन, फाइबर, फैटी एसिड आदि तत्व पाए जाते हैं. चूड़ा खाने से पित्त को शांत करता है, यह शरीर को बल देता है.
कब है मुहूर्त
मकर सक्रांति के दिन चंद्रमा तुला राशि में और सूर्य मकर राशि में रहेंगे. माघ मास, कृष्ण पक्ष, अष्टमी तिथि, रविवार दिन 15 जनवरी को मकर संक्रांति है. 14 जनवरी की रात सूर्य 08:57 बजे धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश कर जाएगा. चंद्रमा तुला राशि में रहेंगे. इस दिन नक्षत्र चित्रा, योग सुकर्मा, ऋतु शिशिर और सूर्योदय सुबह 07:15 बजे पर होगा. मकर संक्रांति के दिन सुबह 8:34 बजे से लेकर 12:31 बजे तक चर मुहूर्त, लाभ मुहूर्त और अमृत मुहूर्त रहेगा. इस दौरान पूजा और तर्पण लोग कर सकते हैं. इसके बाद दिन के 12:09 बजे से लेकर 12:52 बजे तक अभिजीत मुहूर्त है. सुबह 07:15 बजे से लेकर 08:34 बजे तक उद्वेग मुहूर्त का संयोग बन रहा है. उसी प्रकार सुबह 12: 31 बजे से लेकर कि 01:49 बजे तक काल मुहूर्त रहेगा. इस दौरान पूजा अर्चना दान और तर्पण करना वर्जित है.
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