डॉ. कुंदन कुमार
उदित वाणी, जमशेदपुर : इसे सुखद संयोग ही कहेंगे कि 22 अगस्त 2009 को जमशेदपुर से प्रकाशित होने वाले दैनिक अखबार उदित वाणी की 19वीं वर्षगांठ पर टी रमेश का एक आलेख छपा था- आएगा वो दिन, मोबाइल पर पढ़ेंगे अपना उदित वाणी. तब लोकल या आंचलिक अखबारों के ऑनलाइन संस्करण के बारे में सोचा नहीं जाता था. लेकिन टी रमेश ने उदित वाणी को लेकर जो उम्मीद जताई थी वो अब कोरोना के बाद के मीडिया के युग में एक हकीकत के रूप में मूर्तरूप ले चुकी है. चलिए देर आए दुरुस्त आए. लेकिन इतने भर से काम नहीं चलने वाला, नए दौर की पत्रकारिता में उदित वाणी के ऑनलाइन माध्यम उदित वाणी डॉट इन के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी यह है कि वह अपने प्रिंट संस्करण की तरह ही खबरों और सूचनाओं की साख और विश्वसनीयता को कामय रखे. अपना ओरिजनल फ्लेवर पाठकों को मुहैया कराता रहे. उदित वाणी को लोग पत्रकारिता में विश्वसनीयता के पर्याय के रूप में जानते व पहचानते हैं.
22 अगस्त 1980 को अपनी यात्रा के शुरूआत के साथ उतिदवाणी ने तय कर लिया था कि वह पाठकों के बीच अपनी ऐसी पहचान बनाएगा जिसे लोग शिद्दत से याद करेंगे और दूसरों के सामने उदाहरण के रूप में भी प्रस्तुत करेंगे. एक पाठक के रूप में हमें भी इस गर्व की अनुभूति होती है कि 42 साल के अपने सफरनामे में उदित वाणी ने अपने चरित्र और व्यवहार दोनों ही स्तरों पर अपनी साख और विश्वसनीयता को कायम रखा है. आधुनिक तकनीक की कसौटी पर उदित वाणी से और अपेक्षाएं स्वाभाविक हैं लेकिन गर्व करने लायक बात यह है कि उदित वाणी अपने बलबूते बना है, टिका है और आगे बढ़ रहा है. किसी व्यावसायिक घराने की छत्रछाया से दूर रहना ही इसकी पूंजी है.
गौर करने लायक बात यह भी कि चरित्र और व्यवहार के मानक पर यह बड़े से बड़े अखबार से जरा सा भी कमतर नहीं है. चरित्र से उदित वाणी सबल है. अखबार का मूल चरित्र क्या है, इसको जानने के लिए देखना होता है कि अखबार किसकी बात करता है. किसकी आवाज उठाता है? उदित वाणी हमेशा से सिर्फ और सिर्फ अपने पाठकों के हक की बात करता है. उनकी आवाज उठाता है न तो किसी राजनीतिक विचारधारा का वाहक बनता है और न ही किसी दल विशेष का. किसी व्यवसायिक या कारोबारी घराने से भी इसका कोई लेना देना नहीं रहा है. सिर्फ पाठकों के समर्थन और प्यार के बूते अपने मूल चरित्र को अक्षुण बनाए रखकर यह अपने पेशेवर व्यवहार को अमलीजामा पहनाता रहा है. ऑनलाइन मीडिया के क्षेत्र में उदित वाणी से अपने इसी चरित्र और व्यवहार को बचाए और बनाए रखने की आस पाठकों को रहेगी. ऐसा इसलिए क्योंकि ऑनलाइन मीडिया में सूचनाओं को प्रचारित-प्रसारित करने की इतनी गलाकाट प्रतिद्वंद्विता है कि अक्सर खबरें क्रॉस चेकिंग के बगैर ही पाठकों तक पहुंचा दी जाती है. जबकि पत्रकारिता का मूल सिद्घांत यही है कि जब तक खबर की तथ्यों की सत्यता न जान ली जाए तब तक पाठकों तक उसे नहीं पहुंचाना चाहिए. लेकिन आज के दौर के ऑनलाइन मीडिया में इसे देखने जानने या समझने की फुर्सत किसे है. किसी को फुर्सत नहीं है इसीलिए तो ऑनलाइन मीडिया की साख का बंटाधार हो रहा है. उसकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्नï खड़े हो रहे हैं. फेक न्यूज का चलन बढ़ रहा है और पेड न्यूज का धब्बा भी उसपर लग रहा.
इसलिए उदित वाणी डॉट इन से अपेक्षा यही है कि वह खबरों की संख्या गिनने के फेर में बिलकुल न पड़े, फोटो का आकार-प्रकार जांचने की होड़ में बिलकुल ही शामिल न हों. वह सिर्फ और सिर्फ वैसी ही खबरों को स्थान दे जो सीधे तौर पर आम पाठकों के हितों से जुड़ी हुई हों, जनता के सरोकार को प्रभावित करती हों. जिनमें सूचना का पुट हो और जो पाठकों को जागरूक करने में भी प्रभावी साबित हों.
आज के दौर में मीडिया को पाठकों के बदलते मन-मिजाज पर भी ध्यान रखना होगा. समय के साथ जो बदलता है और अपने नये पाठकों को जोड़ते हुए उनके मन मिजाज पढ़ समझकर उनके फ्लेवर का कंटेंट प्रस्तुत करता है वही मीडिया लंबी पारी खेलता है. उदित वाणी को भी अपने न्यूज पोर्टल में इन बातों को आत्मसात करना होगा.
बदलते जमाने के साथ उदित वाणी ने अपना बहुत कुछ बदला है. बदलाव की प्रक्रिया जारी है. एक और बड़ा बदलाव दस्तक दे रहा है. अब उदित वाणी को अपना ई पेपर भी सहजता और सरलता पूर्वक उपलब्ध कराने की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि लोग उसे आसानी से डाउनलोड कर किसी दूसरे को भी भेज सकें या अपने भी पढ़ सकें. उदित वाणी के व्हाट्सएप एडिसन की अपनी सीमाएं हैं, अपनी कमियां हैं उन्हें भी दूर करने पर ध्यान देना होगा.
एक बात और भगवान ने चाहा तो उदित वाणी को अभी और मिलेगा व्यापक फलक. सूचना तकनीक के इस दौर में सभी माध्यमों पर उपलब्ध होगा आपका उदित वाणी.
और तब हमारे जैसे पाठक सहसा कह उठेंगे कि क्या वाकई इतना बदल गया उदित वाणी. ठीक उसी तरह जैसे आज हमलोग अपने बच्चों से कहते हैं कि 42 साल में बहुत बदल गया उदित वाणी.
सकारात्मक सोच के साथ, मजबूत नींव पर उदित वाणी की पत्रकारिता उत्तरोत्तर ऊंचाई की ओर बढ़ती रहे यही हमारे जैसे असंख्य पाठकों की कामना और उम्मीद है.
उदित वाणी टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं।